बलवान लड्डू में इम्यूनिटी बढ़ाने वाली जड़ी-बूटियों और मेवों का इस्तेमाल होता है। जो दुर्बल लोगों को सेहतमंद बनाने में मदद करते हैं।

जयपुर के बलवान और वरदान लड्डू खाए क्या । सेहत का खजाना | गोविंदम स्वीट्स

क्या आप जानते हैं ‘लड्डू’ की खोज किसी हलवाई ने नहीं, बल्कि चौथी शताब्दी के महान भारतीय चिकित्सक सुश्रुत ने की थी। तब वे रोगियों के उपचार में लड्डुओं का इस्तेमाल करते थे। करीब 1600 वर्ष पूर्व सुश्रुत के बनाए लड्डू जिस तरह की बीमारियों को ठीक करते थे, वैसे ही गुणकारी लड्डू आज जयपुर में भी तैयार होते हैं।

इन लड्डुओं का नाम है बलवान और वरदान लड्डू। सैकड़ों वर्ष पुरानी रेसिपी से तैयार होने वाले इन लड्डुओं को बनाने में जड़ी बूटियों को इस्तेमाल होता है। कई दुर्लभ जड़ी-बूटियां तो ईरान से मंगवाई जाती हैं। तो चलिए राजस्थानी जायका में आपको लेकर चलते हैं जयपुर के उस ठिकाने पर जहां तैयार होते हैं ये खास लड्डू…

जयपुर के आराध्य गोविंद देव जी के मंदिर के पास है गोविंदम। ओनर राजेंद्र सिंह तंवर यह दावा करते हैं कि मिठाइयों के खजाने में बलवान और वरदान लड्डू उनका खुद का पेटेंट है।

राजेंद्र तंवर ने बताया कि 17 साल तक पिज्जा कंपनी में काम कर एक्सपीरियंस लिया ताकि एक दिन खुद का बिजनेस करूं। पिता आर्मी में थे, लेकिन दादी की वजह से बचपन में ही फूड में इंटरेस्ट बना।

एक पिज्जा कंपनी में मैनेजर की पोस्ट छोड़कर 2020 में गोविंदम की शुरुआत की थी। तब कोरोना का दौर था। लोग कमजोर इम्यूनिटी से जूझ रहे थे। तभी उन्हें ये लड्डू बनाकर बेचने का आइडिया आया।

राजेंद्र तंवर बताते हैं- मेरी दादी उगम कंवर हम बच्चों के लिए सेहतमंद लड्डू और घर-परिवार में किसी के बच्चा होने पर, उनके लिए जापे (गर्भवती महिलाओं के लिए) के लड्डू तैयार करती थीं। दादी तब उन लड्डुओं को बलवान और वरदान लड्डू ही पुकारती थीं। उनके हाथ में ऐसा हुनर था कि कई रिश्तेदार भी लड्डू बनाने की बड़ी डिमांड करते थे।

दादा आर्मी में थे, लेकिन उन्हें आयुर्वेद का भी अच्छा ज्ञान था। अक्सर ईरान से जड़ी बूटियां लाकर दादी सा को दिया करते थे, जिससे वो लड्डू तैयार करती थीं। जब कभी दादी लड्डू बनाने बैठतीं, मैं उनके साथ रसोई में उनकी मदद करता। जड़ी बूटियों को ओखली में अच्छी तरह कूट-कूट कर बारीक करता। देखते देखते ही दादी सा के हाथों का हुनर मैंने सीखा

कोरोना में याद आया दादी का नुस्खा

राजेंद्र तंवर बताते हैं कोविड ने सबसे ज्यादा लोगों की इम्यूनिटी को कमजोर किया। तब मुझे दादी के उन लड्डुओं की याद आई, जिसे हम बचपन में खाते थे। क्योंकि उन लड्डुओं को खाने के बाद हम कभी बीमार नहीं पड़ते थे। जब मैंने नौकरी छोड़कर रेस्टोरेंट खोलने का प्लान बनाया, तो ख्याल आया क्यों न दादी जो यूनीक लड्डू बनाती थीं, उन्हें मार्केट में लाया जाए।

फिर क्या था? दादी सा से जो रेसिपी बचपन में सीखी थी, उसी से लड्डू बनवाने का काम शुरू किया। पहली, दूसरी और तीसरी बार फेल रहा। परिवार, दोस्त और मिलने वालों ने स्वाद चखने के बाद रिव्यू दिए। लेकिन चौथी बार में सफल हुआ। चौथी बार में मेरी मां ने मुझे हरी झंडी दिखा दी। जिसका मतलब था कि मेरे लड्डू का स्वाद दादी सा के हाथों से बने लड्डुओं के जैसा ही था। आज यही लड्डू हमारी पहचान बन गए हैं।

क्या हैं ये वरदान और बलवान लड्डू

राजेंद्र तंवर का दावा है कि अलग-अलग जड़ी बूटियों और उनके फायदे को ध्यान में रखते हुए उन्होंने लड्डुओं की दो पेटेंट वैरायटी तैयार की हैं। वरदान और बलवान ।

बलवान लड्डू में इम्यूनिटी बढ़ाने वाली जड़ी-बूटियों और मेवों का इस्तेमाल होता है। जो दुर्बल लोगों को सेहतमंद बनाने में मदद करते हैं।

वहीं वरदान लड्डू खासतौर से गर्भवती महिलाओं के लिए तैयार किए जाते हैं। इन लड्डुओं में अकरारकरा ईरानी, तालमखाना, लाजवन्ती जैसी जड़ी बूटियां डाली जाती हैं, जो गर्भवती महिलाओं को स्ट्रांग बनाती हैं।

विस्तृत जानकारी के लिए दैनिक भास्कर में पूर्ण लेख पढ़े। अधिक जानकारी प्राप्त होगी।

लड्डुओं के लिए तैयार किया बलवान और वरदान मसाला

राजेंद्र तंवर ने बताया कि वरदान और बलवान दोनों ही लड्डुओं का बेस मोटे पिसे ऑर्गेनिक आटे का होता है। दोनों ही लड्डू देसी घी में तैयार होते हैं। लेकिन दोनों लड्डुओं के लिए उन्होंने अलग-अलग जड़ी बूटियों से दो मसाले तैयार किए हैं। बलवान और वरदान मसाला।

बलवान लड्डू में आटे और घी की बराबर मात्रा में लेकर सेकते हैं। सेखे मेवों के अलावा बबूल के पेड़ से निकली काली गोंद का इस्तेमाल करते हैं। फिर इसमें 250 ग्राम बलवान मसाला मिलाते हैं। जो इम्यूनिटी को बूस्ट करती हैं और कोलेस्ट्रॉल लेवल घटाती हैं। बलवान लड्डू ऑर्डर करे ।

वरदान लड्डू गर्भवती महिलाओं के लिए बेहद लाभप्रद है। इसके साथ ही पुरुषों और महिलाओं में फर्टिलिटी के गुण बढ़ाने में सहायक होते हैं।

वरदान लड्डू में सलामे सलाम, पंजा ईरानी, अकरकरा ईरानी, तालमखाना, लाजवन्ती, सफेद मूसली, श्तावर, अश्वगंधा, जावित्री, बबूल गोंद, विदारीकंद जैसी जड़ी बूटियां शामिल रहती हैं।

लड्डू बनाने में चीनी का इस्तेमाल बिल्कुल नहीं होता। मीठे के लिए गुड़ डाला जाता है।

बलवान और वरदान लड्डू को ऑर्डर करने के लिए गोविंदम स्वीट्स की वेबसाइट से पूरे भारतवर्ष में घर बैठे ऑर्डर करे ।

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